यह कविता देश में महिलाओं की स्थिति का वर्णन करती है। यह कविता देश में महिलाओं की स्थिति का वर्णन करती है।
भोर का वो उगता सूरज देता है सबको इक आस, ऐसे ही तुम हो कुछ बहुत खास! भोर का वो उगता सूरज देता है सबको इक आस, ऐसे ही तुम हो कुछ बहुत खास!
योनि ही तो है! योनि ही तो है!
बचपन बीता जिस आंगन में जिसमें खेले खेल निराले, अपनेपन की यादों में विस्मृत करके, ख़्व बचपन बीता जिस आंगन में जिसमें खेले खेल निराले, अपनेपन की यादों में विस्मृत...
किसी महिला पर ऐसी कोई नौबत आए वक्त बदलते देर नहीं लगती। किसी महिला पर ऐसी कोई नौबत आए वक्त बदलते देर नहीं लगती।
बढ़ाओ अपने राष्ट्र का मान यही होगा महिलाओं के प्रति सर्वोच्च सम्मान। बढ़ाओ अपने राष्ट्र का मान यही होगा महिलाओं के प्रति सर्वोच्च सम्मान।